ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – मातृभूमि का मान

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प्रश्न क-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उनके पौरुष की परीक्षा का दिन आ पहुँचा है। महारावल बाप्पा का वंशज मैं लाखा प्रतिज्ञा करता हूँ कि जब तक बूँदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करूँगा, अन्न जल ग्रहण नहीं करूँगा।
महाराणा लाखा ने प्रतिज्ञा क्यों ली?

उत्तर:
मेवाड़ नरेश महाराणा लाखा ने सेनापति अभी सिंह से बूँदी के राव हेमू के पास यह संदेश भिजवाया कि बूँदी मेवाड़ की अधीनता स्वीकार करे ताकि राजपूतों की असंगठित शक्ति को संगठित करके एक सूत्र में बाँधा जा सके, परंतु राव ने यह कहकर प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया कि बूँदी महाराणाओं का आदर तो करता है, पर स्वतंत्र रहना चाहता है। हम शक्ति नहीं प्रेम का अनुशासन करना चाहते हैं। यह सुन कर राणा लाख प्रतिज्ञा करते हैं।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उनके पौरुष की परीक्षा का दिन आ पहुँचा है। महारावल बाप्पा का वंशज मैं लाखा प्रतिज्ञा करता हूँ कि जब तक बूँदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करूँगा, अन्न जल ग्रहण नहीं करूँगा।
किसका वंशज क्या प्रतिज्ञा करता है?

उत्तर :
महारावल बाप्पा का वंशज महाराणा लाखा प्रतिज्ञा करते है कि ‘जब तक बूँदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करूँगा, अन्न जल ग्रहण नहीं करूँगा।’

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उनके पौरुष की परीक्षा का दिन आ पहुँचा है। महारावल बाप्पा का वंशज मैं लाखा प्रतिज्ञा करता हूँ कि जब तक बूँदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करूँगा, अन्न जल ग्रहण नहीं करूँगा।
किसके पौरुष की परीक्षा का दिन आ गया?

उत्तर:
मेवाड़ के सैनिकों के लिये युद्ध-भूमि में वीरता दिखाने की परीक्षा का दिन आ गया।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
उनके पौरुष की परीक्षा का दिन आ पहुँचा है। महारावल बाप्पा का वंशज मैं लाखा प्रतिज्ञा करता हूँ कि जब तक बूँदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करूँगा, अन्न जल ग्रहण नहीं करूँगा।
महाराणा लाखा जनसभा में क्यों नहीं जाना चाहते?

उत्तर:
मेवाड़ के शासक महाराणा लाखा को नीमरा के युद्ध के मैदान में बूँदी के राव हेमू से पराजित होकर भागना पड़ा, इसलिए अपने को धिक्कारते हैं, और आत्मग्लानि अनुभव करने के कारण जनसभा में भी नहीं जाना चाहते।

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस मिट्टी के दुर्ग को मिट्टी में मिलाने से मेरी आत्मा को संतोष नहीं होगा, लेकिन अपमान की वेदना में जो विवेकहीन प्रतिज्ञा मैंने कर डाली थी, उससे तो छुटकारा मिल ही जाएगा।
महाराणा ने किसके सुझाव पर बूँदी का नकली महल बनवाया?

उत्तर:
महाराणा ने चारणी सुझाव पर बूँदी का नकली महल बनवाया।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस मिट्टी के दुर्ग को मिट्टी में मिलाने से मेरी आत्मा को संतोष नहीं होगा, लेकिन अपमान की वेदना में जो विवेकहीन प्रतिज्ञा मैंने कर डाली थी, उससे तो छुटकारा मिल ही जाएगा।
नकली दुर्ग क्यों बनवाया गया?

उत्तर:
महाराणा लाखा ने गुस्से में यह प्रतिज्ञा की थी कि जब तक वे बूँदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करेंगे, अन्न जल ग्रहण नहीं करेंगे। चारिणी ने उन्हें सलाह दी कि वे नकली दुर्ग का विध्वंस करके अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण कर ले। महाराणा ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया क्योंकि वे हाड़ाओं को उनकी उदण्डता का दंड देना चाहते थे तथा अपने व्रत का भी पालन करना चाहते थे।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस मिट्टी के दुर्ग को मिट्टी में मिलाने से मेरी आत्मा को संतोष नहीं होगा, लेकिन अपमान की वेदना में जो विवेकहीन प्रतिज्ञा मैंने कर डाली थी, उससे तो छुटकारा मिल ही जाएगा।
महाराणा की प्रतिज्ञा विवेकहीन क्यों थी?

उत्तर:
महाराणा ने बिना सोचे समझे प्रतिज्ञा की थी इसलिए यह विवेकहीन थी।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
इस मिट्टी के दुर्ग को मिट्टी में मिलाने से मेरी आत्मा को संतोष नहीं होगा, लेकिन अपमान की वेदना में जो विवेकहीन प्रतिज्ञा मैंने कर डाली थी, उससे तो छुटकारा मिल ही जाएगा।
‘मातृभूमि का मान’ एकांकी शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।

उत्तर:
प्रस्तुत एकांकी ‘मातृभूमि का मान’ शीर्षक सार्थक है क्योंकि यहाँ मातृभूमि के मान के लिए ही महाराणा लाखा, बूँदी के नरेश तथा वीर सिंह लड़ते है तथा वीरसिंह ने अपनी मातृभूमि बूँदी के नकली दुर्ग को बचाने के लिए अपने प्राण की आहुति दे दी।

प्रश्न ग-i:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वीरसिंह और जिस जन्मभूमि की धूल में खेलकर हम बड़े हुए हैं, उसका अपमान भी कैसे सहन किया जा सकता है? हम महाराणा के नौकर हैं तो क्या हमने अपनी आत्मा भी उन्हें बेच दी है? जब कभी मेवाड़ की स्वतंत्रता पर आक्रमण हुआ है, हमारी तलवार ने उनके नमक का बदला दिया है।
वीरसिंह की मातृभूमि कौन-सी थी और वह मेवाड़ में क्यों रहता था?

उत्तर:
वीरसिंह की मातृभूमि बूँदी थी। वह मेवाड़ में इसलिए रहता था क्योंकि वह महाराणा लाखा की सेना नौकरी
करता था।

प्रश्न ग-ii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वीरसिंह और जिस जन्मभूमि की धूल में खेलकर हम बड़े हुए हैं, उसका अपमान भी कैसे सहन किया जा सकता है? हम महाराणा के नौकर हैं तो क्या हमने अपनी आत्मा भी उन्हें बेच दी है? जब कभी मेवाड़ की स्वतंत्रता पर आक्रमण हुआ है, हमारी तलवार ने उनके नमक का बदला दिया है।
वीरसिंह ने अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम किस तरह दिखाया?

उत्तर:
वीरसिंह ने अपनी मातृभूमि बूँदी के नकली दुर्ग को बचाने के लिए अपने साथियों के साथ प्रतिज्ञा ली कि प्राणों के होते हुए हम इस नकली दुर्ग पर मेवाड़ की राज्य पताका को स्थापित न होने देंगे तथा दुर्ग की रक्षा के लिए अपने प्राण की आहुति दे दी।

प्रश्न ग-iii:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वीरसिंह और जिस जन्मभूमि की धूल में खेलकर हम बड़े हुए हैं, उसका अपमान भी कैसे सहन किया जा सकता है? हम महाराणा के नौकर हैं तो क्या हमने अपनी आत्मा भी उन्हें बेच दी है? जब कभी मेवाड़ की स्वतंत्रता पर आक्रमण हुआ है, हमारी तलवार ने उनके नमक का बदला दिया है।
वीरसिंह के बलिदान ने राजपूतों को क्या सिखा दिया?

उत्तर:
वीरसिंह के बलिदान ने राजपूतों को जन्मभूमि का मान करना सिखा दिया।

प्रश्न ग-iv:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
वीरसिंह और जिस जन्मभूमि की धूल में खेलकर हम बड़े हुए हैं, उसका अपमान भी कैसे सहन किया जा सकता है? हम महाराणा के नौकर हैं तो क्या हमने अपनी आत्मा भी उन्हें बेच दी है? जब कभी मेवाड़ की स्वतंत्रता पर आक्रमण हुआ है, हमारी तलवार ने उनके नमक का बदला दिया है।
‘मातृभूमि का मान’ एकांकी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
इस एकांकी में यह दिखाया गया है कि मातृभूमि की रक्षा के लिए क्या-क्या बलिदान नहीं करना पड़ता, यहाँ तक कि प्राणों का बलिदान भी करना पड़ता है। इस एकांकी में वीर सिंह के माध्यम से यह बताया गया है कि राजपूत किसी भी सूरत में अपनी मातृभूमि को किसी के अधीन नहीं देख सकते हैं इसलिए राजपूत अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करते हैं। इस पूरी एकांकी में राजपूतों की मातृभूमि के प्रति ऐसी ही एकनिष्ठा को दर्शाया है।

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