ICSE Class 10 Hindi Solutions साहित्य सागर – मेघ आए [कविता]

ICSE SolutionsSelina ICSE SolutionsML Aggarwal Solutions

प्रश्न क-i:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए।
मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?

उत्तर:
मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा के तेज बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे पेड़ कभी झुक जाते हैं तो कभी उठ जाते हैं। दरवाजे खिड़कियाँ खुल जाती हैं। नदी बाँकी होकर बहने लगी। पीपल का वृक्ष भी झुकने लगता है, तालाब के पानी में उथल-पुथल होने लगती है, अंत में आसमान से वर्षा होने लगती है।

प्रश्न क-ii:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
आगे-आगे नाचती – गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए।
‘बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरकाए।’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :
उपर्युक्त पंक्ति का भाव यह है कि मेघ के आने का प्रभाव सभी पर पड़ा है। नदी ठिठककर कर जब ऊपर देखने की चेष्टा करती है तो उसका घूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नज़र से आए हुए आंगतुक को देखने लगती है।

प्रश्न क-iii:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
आगे-आगे नाचती – गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए।
मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?

उत्तर:
कवि ने मेघों में सजीवता लाने के लिए बन ठन की बात की है। जब हम किसी के घर बहुत दिनों के बाद जाते हैं तो बन सँवरकर जाते हैं ठीक उसी प्रकार मेघ भी बहुत दिनों बाद आए हैं क्योंकि उन्हें बनने सँवरने में देर हो गई थी।

प्रश्न क-iv:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
आगे-आगे नाचती – गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए।
शब्दार्थ लिखिए – बन ठन के, बाँकी चितवन, पाहून, ठिठकना

उत्तर:

शब्द अर्थ
बन ठन के सज-धज के
बाँकी चितवन तिरछी नजर
पाहुन अतिथि
ठिठकना सहम जाना

प्रश्न ख-i:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जुहार की
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खुल गयी अब भरम की’
बाँध टूटा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
‘क्षितिज अटारी गहराई दामिनी दमकी, क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
उपर्युक्त पंक्ति का आशय यह है कि नायिका को यह भ्रम था कि उसके प्रिय अर्थात् मेघ नहीं आएँगे परन्तु बादल रूपी नायक के आने से उसकी सारी शंकाएँ मिट जाती है और वह क्षमा याचना करने लगती है।

प्रश्न ख-ii:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जुहार की
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खुल गयी अब भरम की’
बाँध टूटा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?

उत्तर:
लता ने बादल रूपी मेहमान को किवाड़ की ओट में से देखा क्योंकि एक तो वह बादल को देखने के लिए व्याकुल हो रही थी और दूसरी ओर वह बादलों के देरी से आने के कारण रूठी हुई भी थी।

प्रश्न ख-iii:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जुहार की
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खुल गयी अब भरम की’
बाँध टूटा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
कवि ने पीपल के पेड़ के लिए किस शब्द का प्रयोग किया है और क्यों?

उत्तर:
कवि ने पीपल के पेड़ के लिए ‘बूढ़े’ शब्द का प्रयोग किया है क्योंकि पीपल का पेड़ दीर्घजीवी होता है। जिस प्रकार गाँव में मेहमान आने पर बड़े-बूढ़े आगे बढ़कर उसका अभिवादन करते हैं वैसे ही मेघ रूपी दामाद के आने पर गाँव के बुजुर्ग पीपल का पेड़ आगे बढ़कर उनका स्वागत करते हैं।

प्रश्न ख-iv:
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जुहार की
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खुल गयी अब भरम की’
बाँध टूटा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
शब्दार्थ लिखिए – बरस, सुधि, अकुलाई, ढरके

उत्तर:

शब्द अर्थ
बरस वर्ष
सुधि सुध
अकुलाई व्याकुल
ढरके ढलकना

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *